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आइआइआइडी के ज्ञानअर्जन सीरीज में आर्किटेक्ट मनीष गुलाटी ने अपने अनुभव साझा किए।
By raghav tiwari
Publish Date: Tue, 23 Apr 2024 03:57 PM (IST)
Updated Date: Tue, 23 Apr 2024 03:57 PM (IST)
Indore News: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। पश्चिमी देशों के लोग भारत को अभी तक पारंपरिक आर्किटेक्चर के नजरिए से ही देखते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारत में भी अब उन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल आर्किटेक्चर और डिजाइनिंग में हो रहा है जिनका इस्तेमाल पश्चिमी देशों में होता है। हम लोग हमारे देश में 3डी प्रिंटिंग, कंप्यूटर सिमुलेशन, ग्राफिक्स, वर्चुअल रियलिटी से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) जैसी सभी एडवांस और लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ये बातें ज्ञानार्जन सीरीज में आर्किटेक्ट मनीष गुलाटी ने कहीं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंटीरियर डिजाइनर्स (आइआइआइडी) के इंदौर रीजनल चैप्टर ने ज्ञानार्जन सीरीज के तहत द पार्क कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आर्किटेक्ट मनीष गुलाटी मौजूद थे। इंदौर रीजनल चैप्टर के चेयरपर्सन आर्किटेक्ट अभिषेक जुल्का ने कहा कि मनीष गुलाटी जिस तरह का काम कर रहे हैं यही डिजाइनिंग और आर्किटेक्ट का भविष्य है।
20 साल बाद क्या दिक्कत आएगी, पहले से देख सकते हैं
उन्होंने बताया कि एआइ के इस्तेमाल से हम यह देख सकते हैं कि अगर आज बिल्डिंग बन रही है तो 20 साल बाद वो कैसा व्यवहार करेगी। मौसम, लोगों और वातावरण के कारण उसमें क्या दिक्कत या परेशानी आ सकती है, उसका अंदाजा लगा सकते हैं। उसके अनुसार अपने बिल्डिंग की डिजाइन और कंस्ट्रक्शन को बदल सकते है। इस वजह से बिल्डिंग की दक्षता बढ़ जाती है और उसकी लागत में भी कमी आती है।
गाेवा में बने वर्ल्ड क्लास वाटर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट से समझाया तकनीक का महत्व
आर्किटेक्ट मनीष गुलाटी ने अपने हाल ही में गोवा में बने नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वाटर स्पोर्ट्स के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि यह एशिया का पहला ऐसा इंस्टीट्यूट है जो एडवेंचर वाटर स्पोर्ट्स के लाइसेंस प्रदान करता है। यहां स्कूबा डाइविंग, क्या की, कनोइंग, नाटिंग जैसे समुद्र में किए जाने वाले वाटर स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग, लाइफ गार्ड कोचिंग, डिफेंस के पानी में होने वाले रेस्क्यू आपरेशन का प्रशिक्षण दिया जाता है। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के सीनियर लेवल आफिसर ट्रेनिंग के लिए आते हैं।
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